जीवन में उतार चढ़ाव का होना आम बात हैं | हमें हमेशा यही कोशिश करनी चाहिए की, जितना भी हो सके परेशानियों को हँसतें-खेलते अलविदा कहें | ऐसा ही कुछ हम अपने जीवन में तब महसूस करते हैं, जब हम अपने पैरों पर खड़े होने की भरपूर कोशिश करते हैं | कोई भी काम आसान नहीं होता, पर हमारा नज़रिया और निभाने का तरीका उसे आसान बना सकता है | जब तक मेहनत नहीं करेंगे, फल की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं? ऐसा ही कुछ ज़िन्दगी का अंदाज़ है, कभी धुप तो कभी छाँव है| हमें बस दृढ़ रहके आगे बढ़ते जाना है |
इस बार हम एच.आर. डायरीज़, हरमिंदर सिंह द्वारा लिखी गयी उपन्यास लाए हैं | यह उपन्यास हमारे “ब्लॉगर्स टू ऑथर्स” प्रोग्राम की दूसरी (पहली) पुस्तक है | इस प्रोग्राम को आरम्भ करने का उद्देश्य यही है कि जितने भी ब्लॉगर्स हैं, उन्हें एक मौका यह भी मिले की वो ब्लॉग के साथ-साथ अपने द्वारा लिखित एक पुस्तक भी जारी करें | ये खासतौर से ब्लॉगअड्डा के सदस्यों के लिए शुरू किया गया पहला प्रोग्राम है | इसलिए हम सभी ब्लॉगर्स को प्रोत्साहित करना चाहेंगे की हमारे साथ जुड़े और अपने द्वारा लिखी गयी किताब के सपने को पूरा करें |

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