जीवन में उतार चढ़ाव का होना आम बात हैं | हमें हमेशा यही कोशिश करनी चाहिए की, जितना भी हो सके परेशानियों को हँसतें-खेलते अलविदा कहें | ऐसा ही कुछ हम अपने जीवन में तब महसूस करते हैं, जब हम अपने पैरों पर खड़े होने की भरपूर कोशिश करते हैं | कोई भी काम आसान नहीं होता, पर हमारा नज़रिया और निभाने का तरीका उसे आसान बना सकता है | जब तक मेहनत नहीं करेंगे, फल की अपेक्षा कैसे कर सकते हैं? ऐसा ही कुछ ज़िन्दगी का अंदाज़ है, कभी धुप तो कभी छाँव है| हमें बस दृढ़ रहके आगे बढ़ते जाना है |
इस बार हम एच.आर. डायरीज़, हरमिंदर सिंह द्वारा लिखी गयी उपन्यास लाए हैं | यह उपन्यास हमारे “ब्लॉगर्स टू ऑथर्स” प्रोग्राम की दूसरी (पहली) पुस्तक है | इस प्रोग्राम को आरम्भ करने का उद्देश्य यही है कि जितने भी ब्लॉगर्स हैं, उन्हें एक मौका यह भी मिले की वो ब्लॉग के साथ-साथ अपने द्वारा लिखित एक पुस्तक भी जारी करें | ये खासतौर से ब्लॉगअड्डा के सदस्यों के लिए शुरू किया गया पहला प्रोग्राम है | इसलिए हम सभी ब्लॉगर्स को प्रोत्साहित करना चाहेंगे की हमारे साथ जुड़े और अपने द्वारा लिखी गयी किताब के सपने को पूरा करें |
हमें बताते हुए बहुत ही ख़ुशी महसूस हो रही है, की इस उपन्यास की हमारे पास १० कॉपियां ‘बुक रिव्यु प्रोग्राम’ के सदस्यों के लिए है | यदि आप इस उपन्यास की एक कॉपी प्राप्त करना चाहते है तो जल्द ही इसकी समीक्षा करने हेतु दरख्वास्त करें |
उपन्यास के बारे में:
कुछ नौजवान जिन्होंने नयी दुनिया में कदम रखा, उलझ गए दौड़ – भाग के पाटों में | ज़िंदगी की पेचीदगियों को उन्होंने अपनी तरह से हल करने की कोशिश की | अनेक रोचक मोड़ आते गये I वे हँसें, रोये, घबराये, लेकिन रुके नहीं | आखिर में उन्होंने पाया कि नौकरी करना कोई बच्चों का खेल नहीं! उनकी ज़िंदगी का एक हिस्सा उनसे हर बार सवाल करता है की यह दौड़ यूँ ही क्यों चल रही है? हमें क्यों लगता है कि हम एक जगह बंधे हुए हैं ? क्या यह हमारी नियति है ?
लेखक के बारे में:
श्री हरमिंदर का यह पहला उपन्यास है | उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के गजरौला में रहते हैं | साहित्य से स्नातक है तथा मानव संसाधन की पढ़ाई की है | कुछ साल नौकरी करने के नाद लेखन क्षेत्र में आ गये | उन्हें लेखन के साथ चित्रकारी का शौक है | मौका मिलता है तो कवितायें भी लिखते हैं | उनका ब्लॉग ‘वृद्धग्राम’ वृद्धों को समर्पित पहला हिंदी ब्लॉग है | ब्लॉगअड्डा द्वारा वृद्धग्राम को साल २०१५ का सर्वश्रेष्ठ ब्लॉग का सम्मान मिल चुका है |
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Is this open to bloggers residing in India or for outside India too?
HIndi me likha, bohot bohot dhanyawad sir!
I really enjoyed the book. This is a good book written in a lucid language questioning on every trivial things happening around us. I hope the author will write more stories that involves simple life experiences. My review is athttp://biranchiacharya.blogspot.in/2017/01/book-review-hrdiaries-by-harminder-singh.html
Hi
How to gt this for review
Hi Sugandha
We have completed this review program. No further books are available.
HIndi me likha, bohot bohot dhanyawad sir!