In the urban lifestyle of our respective cities, we often have an encounter with headaches, fever, cold and cough, etc. We always hope to get well soon and get back to normal. Though we know it won’t last for long and we will get back to normal with some medication. Imagine the sorry state of people who have to live with this hope for years long. Such is the state of the cancer patients worldwide. Everyday fighting with death and hoping to get well soon, is not an easy task. According to us all the cancer patients worldwide are true warriors who battle each day for their lives…
Update: Winners Announced at the bottom of the post!
A motivation is what keeps a soul thriving for life. With this noble thought, BlogAdda calls out to all the bloggers to come and write any inspiring story, narrative, personal anecdotes or an experience that provides hope for those fighting cancer! BlogAdda in association with Indusladies.com announces a contest, ‘Let’s Combat Cancer‘. Here is a chance for all the bloggers to make a difference in someone’s life through their writing and prove that ‘words can speak louder than action’.
- Tell us if you have or anyone you know have had an encounter with cancer. What did you do then? What were the learnings?
- Any incident around you which you think by sharing with us can make a difference.
- You also have the opportunity to bring any cancer patients plea in your blog and who knows the victim might get some helping hand.
- Any story which is inspiring or heart wrenching.
- Display (at the top of your blog post) one of the campaign badges that you can get here
This contest is not about winning but is about making a difference. The top three posts will win goodies from Indusladies.com.
So think on how you can motivate the cancer patients to fight back cancer and survive! Make a difference in someone’s life today and feel the difference in your own life as well!
The winners for this contest are:
- Let us combat cancer…. by Farida
- Terminal? by Bhagyareema
- Living the nightmare by Madrasi
You win an Indusladies Cap and a Letter Holder. 🙂
Having been lucky to survive the onslaught of the demon for nearly 15 yrs .. I know I have to do this.
Hi,
Cancer Is Very Very Big Demon Who Have Sat On People Neck As 40 – 50 % Die Due To Various Types Of Cancer But Still Youngsters Have Not Taken A Lesson Out Of It.
Let Me Tell You The Fact That Iam A Cancer Patient As I Have A Mouth Cancer And That Devastating Demon Has Already Sat On My Neck And I Want To Live And Not Die But I Know That This Is Not Possible As Iam Facinfg Last Stage.
So Advice I All The People That Please Do Not Drink, Smoke Or Chew Tobbaco And Do Not Let The Demon Devaste Your Life.
So Keep Away These Things And Live The Life To The Fullest.
This is a poem I wrote long time back on a cancer survivor. I do know of someone who died of cancer.. she was my neighbour and she shared a loving bond with me. It’s very tragic to see someone we know go away like that.
http://punamjr.blogspot.com/2008/04/if-i-never-see-you-again.html
I pray for everyone who is suffering from this disease and also for all those who are related to them.. for giving them the strength to face this.
~Punam
ITS NOT A STORY .ITS SOMETHING I PERCEIVED FOR THE BREAST CANCER VICTIMS.Just an attempt to work on their body and soul and kick the breast cancer out of their body.
http://pratibhathetalent.blogspot.com/2010/10/goodbye-to-breast-cancer.html
दो कैनà¥à¤¸à¤°à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रोगियों की आपबीती
विपिन किशोर सिनà¥à¤¹à¤¾
वे जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ १९९५ के दिन थे. मेरी पतà¥à¤¨à¥€ – गीतू, जिसकी उमà¥à¤° मातà¥à¤° ३५ वरà¥à¤· थी, कैनà¥à¤¸à¤° की शिकार हà¥à¤ˆ. बिना नहाà¤-धोठऔर पूजा किठवह अनà¥à¤¨ का à¤à¤• दाना à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¤£ नहीं करती थी. पान, तंबाकू, मदिरा इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से उसका दूर-दूर तक रिशà¥à¤¤à¤¾ नहीं था. उसकी बाईं बà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥à¤Ÿ में à¤à¤• गांठउà¤à¤°à¥€. काशी हिनà¥à¤¦à¥‚ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में उसे दिखाया गया. तरह-तरह के टेसà¥à¤Ÿ कराठगà¤. डकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ ने इसे कैनà¥à¤¸à¤° घोषित किया और केस टाटा मेओरियल हासà¥à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤², मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ को रेफर कर दिया.
जीवन के सबसे कठिन कà¥à¤·à¤£ थे वो. कैनà¥à¤¸à¤° का नाम सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही दिल बैठगया, मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• चकà¥à¤•र खाने लगा. जीवन की सबसे पà¥à¤°à¤¿à¤¯ निधि – लगा – जलà¥à¤¦à¥€ ही खोनेवाला हूं. मैं उसे दिलासा दिलाता था – “जलà¥à¤¦à¥€ ही ठीक हो जाओगी.” वह कम बोलने लगी थी. बात काटती नहीं थी, लेकिन उसकी आंखें मेरी बातों पर अविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करने लगी थीं. मैं पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· देख सकता था. उसे दिलासा देते हà¥à¤ कà¤à¥€-कà¤à¥€ मैं à¤à¥€ रो पड़ता था. कबतक अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ करता? मेरा निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ हाड़ मांस से ही हà¥à¤† था. मेरे अंदर à¤à¥€ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ उठती थीं.
“मà¥à¤à¥‡ कैनà¥à¤¸à¤° हà¥à¤† है न?” वह पूछती.
“नहीं à¤à¤¸à¤¾ नहीं है,” मैं उतà¥à¤¤à¤° देता.
“आपको à¤à¥‚ठबोलना à¤à¥€ नहीं आता. आप होठों से पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ तो करते हैं लेकिन चेहरा सारा à¤à¥‡à¤¦ खोल देता है. मैं अचà¥à¤›à¥€ तरह जानती हूं – टाटा मेमोरियल में और किस रोग की चिकितà¥à¤¸à¤¾ होती है?”
उसे अंधेरे में रखना संà¤à¤µ नहीं था लेकिन इस रोग के नाम का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ करने में रूह कांप जाती थी. हम साथ रोठथे – कई बार – गले लगकर. बिछड़ना धà¥à¤°à¥à¤µ सतà¥à¤¯ लग रहा था. फिर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ तो करना ही था. महासमर में उतरना ही था. हम लोग मà¥à¤‚बई के लिठचल पड़े. हासà¥à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤² के पास ही ’हरिओम’ होटल में ठहरे हमलोग. डा. पी.बी.देसाई की ओ.पी.डी. में पंजीयन कराया गया. चेक अप के बाद ढेर सारे टेसà¥à¤Ÿ लिख दिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने. à¤à¤• हफ़à¥à¤¤à¥‡ तक टेसà¥à¤Ÿ ही कराते रहे हमलोग. à¤à¥ž.à¤à¤¨.à¤.सी. टेसà¥à¤Ÿ से बहà¥à¤¤ घबराती थी वह. दो बार यह टेसà¥à¤Ÿ हो चà¥à¤•ा था. रिपोरà¥à¤Ÿ दिखाई गई, लेकिन टाटा मेमोरियल सिरà¥à¥ž अपनी जांच पर ही à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ करता था. à¤à¥ž.à¤à¤¨.à¤.सी. टेसà¥à¤Ÿ के लिठजाते समय वह बिलख-बिलख कर रोई थी. मैं उसकी कोई सहयता नहीं कर सका. ढाà¥à¤¸ बंधाने की à¤à¥€ हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं रह गई थी मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚. वह अंदर गई. आधे घंटे के बाद आंसू पोछते हà¥à¤ वह टेसà¥à¤Ÿ लैब से बाहर निकली. मैंने बांहों का सहारा दिया. धीरे-धीरे टैकà¥à¤¸à¥€ तक ले आया. होटल पहà¥à¤‚चकर हम दोनों चà¥à¤ª थे. पंखा फà¥à¤² सà¥à¤ªà¥€à¤¡ पर चल रहा था. हवा की सांय-सांय की आवाज़ आ रही थी.
à¤à¤• हफ़à¥à¤¤à¥‡ के बाद आपरेशन की डेट मिली. नियत तिथि पर आपरेशन हà¥à¤†. डा. देसाई ने बधाई दी. आपरेशन सफल था. मैंने डकà¥à¤Ÿà¤° के पांव छू लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गीतू को नई ज़िनà¥à¤¦à¤—ी दी थी. टांके सूखने में १५ दिन क समय लगा. फिर फाइनल चेक अप किया गया. कीमोथिरेपी के छः कोरà¥à¤¸ पूरा करने की सलाह मिली. अगला पड़ाव बनारस था. हिनà¥à¤¦à¥‚ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में यह चिकितà¥à¤¸à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ. à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• आफà¥à¤Ÿà¤° इफेकà¥à¤Ÿ होता है इस थेरेपी का. डà¥à¤°à¤¿à¤ª के सहारे धीरे-धीरे कैनà¥à¤¸à¤° से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ सेलों को नषà¥à¤Ÿ करने के लिये दवा चà¥à¤¾à¤ˆ जाती है. दो कीमो में इकà¥à¤•ीस दिनों का गैप होता था. कीमोथिरेपी से कैनà¥à¤¸à¤° से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कितने सेल नषà¥à¤Ÿ होते थे, यह तो नहीं मालूम लेकिन परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ सेल अवशà¥à¤¯ नषà¥à¤Ÿ हो जाते थे. हर कीमो के बाद गीतू à¤à¤• ज़िनà¥à¤¦à¤¾ लाश बन जाती थी. अपने पैरों पर खड़ी होने के लिये उसे हफ़à¥à¤¤à¥‹à¤‚ इंतज़ार करना पड़ता. किसी तरह कीमो के छः कोरà¥à¤¸ पूरे हà¥à¤. फिर चेक अप के लिठमà¥à¤‚बई जाना पड़ा. सब ठीक था, लेकिन डाकà¥à¤Ÿà¤° ने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• छः महीनों के बाद मà¥à¤‚बई आकर नियमित चेक अप की सलाह दी. मेरे पूछने पर कि जब वह ठीक हो गई है तो बार-बार चेक अप की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•ता है, डाकà¥à¤Ÿà¤° ने मà¥à¤à¥‡ अलग ले जाकर बताया – मि. सिनà¥à¤¹à¤¾, रोग का फैलाव जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हो चà¥à¤•ा है, इट इस इन à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स सà¥à¤Ÿà¥‡à¤œ. यू मसà¥à¤Ÿ रिमेन केयरफà¥à¤² आल द टाइम. मेरे पैर के नीचे से जमीन खिसकने लगी. मैंने सोचा था कि चकà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‚ह तोड़ दिया लेकिन à¤à¤¸à¤¾ नहीं था. पहले आपरेशन के अà¤à¥€ सात साल à¤à¥€ नहीं बीते थे कि आपरेशन वाली जगह पर à¤à¤• गांठफिर से उà¤à¤° आई. विपतà¥à¤¤à¤¿ का पहाड़ पà¥à¤¨à¤ƒ टूट पड़ा. “कितनी और यातना दोगे, कितनी और परीकà¥à¤·à¤¾ लोगे”, à¤à¤—वान से बार-बार पूछा मैंने. लेकिन पतà¥à¤¥à¤° à¤à¥€ कà¤à¥€ बोलता है कà¥à¤¯à¤¾? गीतू जीवन से निराश हो चà¥à¤•ी थी. बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से उसे पà¥à¤¨à¤ƒ मà¥à¤‚बई चलने के लिठराज़ी किया. टाटा मेमोरियल में ही दूसरा आपरेशन हà¥à¤†. रेडियोथेरेपी के तीस कोरà¥à¤¸ à¤à¥€ कराने पड़े.
समय तो कà¤à¥€ रà¥à¤•ता नहीं, आगे बà¥à¤¤à¤¾ ही जाता है. मà¥à¤‚बई पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के ढाई महीने à¤à¥€ गà¥à¥›à¤° ही गà¤. कैसे गà¥à¥›à¤°à¥‡, याद नहीं करना चाहता. बनारस लौटने के बाद हम फिर अपने-अपने कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गठलेकिन हमलोग हंसना à¤à¥‚ल गà¤. कैनà¥à¤¸à¤° ने उसके बदन में बसेरा बना लिया था. हमेशा आशंका बनी रहती थी. डर के साठमें हम दिन गà¥à¤œà¤¾à¤° रहे थे. मैं तनावगà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रहने लगा. रात में नींद नहीं आती थी. अकà¥à¤¸à¤° गोली लेनी पड़ती थी. वज़न à¤à¥€ धीरे-धीरे कम होने लगा. शरीर में मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ ने सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ बसेरा बना लिया. २००३ की जनवरी के आते-आते सà¥à¤Ÿà¥‚ल के साथ खून का निकलना आरंठहà¥à¤†. हिनà¥à¤¦à¥‚ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में तरह-तरह की जांच हà¥à¤ˆ. रेकà¥à¤Ÿà¤® में à¤à¤• टà¥à¤¯à¥‚मर डायगà¥à¤¨à¥‹à¤¸ हà¥à¤†. केस à¤à¤¸.जी.पी.जी.आई. लखनऊ के लिठरेफर कर दिया गया.
डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ ने सफलता पूरà¥à¤µà¤• मेरा आपà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ किया. डेॠमहीने तक हासà¥à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤² में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ रहा. वारà¥à¤¡ बà¥à¤µà¤¾à¤¯ की गलती के कारण पहले आपरेशन के पांच दिन बाद ही à¤à¤• इमरà¥à¤œà¥‡à¤‚सी आपरेशन और करना पड़ा – इलियासà¥à¤Ÿà¤®à¥€ की गई. पेट की दाईं ओर à¤à¤• बैग लगा दिया गया. छोटी आंत को बड़ी आंत से अलग कर दिया गया. सà¥à¤Ÿà¥‚ल बड़ी आंत में नहीं आता था – बैग में इकठà¥à¤ ा होता था. हमने इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं की थी. à¤à¤• सदमा सा लगा. गीतू ने संà¤à¤¾à¤²à¤¾ मà¥à¤à¥‡, बोली –
“आप तनिक à¤à¥€ चिनà¥à¤¤à¤¾ न करें. मैंने नरà¥à¤¸ से टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¿à¤‚ग ले ली है. बैग निकालना, बदलना, लगाना और साफ करना, मैंने सीख लिया है. आपको ज़रा à¤à¥€ तकलीफ़ नहीं होगी. मैं हूं न.”
मैं राज कपूर की तरह मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¾. वह मà¥à¤•ेश के टà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¡à¥€ गाने गाते समय à¤à¥€ हलà¥à¤•े से मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ था.
टà¥à¤¯à¥‚मर की बायपà¥à¤¸à¥€ रिपोरà¥à¤Ÿ तो आ गई थी लेकिन डाकà¥à¤Ÿà¤° ने उसे डिसà¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤œ नहीं किया था. डिसà¥à¤šà¤¾à¤°à¥à¤œ वाले दिन उसने बताया —
“टà¥à¤¯à¥‚मर मैलिगà¥à¤¨à¥ˆà¤‚ट था, आपको रेडियोथिरेपी और कीमोथिरेपी à¤à¥€ करानी पड़ेगी – यहां à¤à¥€ हो सकती है, बनारस में à¤à¥€ हो सकती है. आपको जहां à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हो, दोनों थिरेपी करा लीजिà¤à¤—ा. पूरी रिपोरà¥à¤Ÿ डिसà¥à¤šà¤¾à¤°à¥à¤œ सरà¥à¤Ÿà¤¿à¥žà¤¿à¤•ेट के साथ मिल जाà¤à¤—ी. विश यू आल द बेसà¥à¤Ÿ.”
मैं जड़वत हो गया. दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ कà¤à¥€ अकेले नहीं आता. डिसà¥à¤šà¤¾à¤°à¥à¤œ होने की खà¥à¤¶à¥€ समापà¥à¤¤ हो चà¥à¤•ी थी. कमरे में सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छा गया. सिरà¥à¤« गीतू के फूट-फूटकर रोने की आवाज़ आ रही थी –
“मैंने कà¥à¤¯à¤¾ बिगाड़ा था à¤à¤—वान आपका? कà¥à¤¯à¤¾ आपको यह रोग मà¥à¤à¥‡ देकर संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ नहीं हà¥à¤ˆ? कोई जरूरी था कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ यह घातक रोग लग जाय? मà¥à¤à¥‡ आपने बचा ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लिया? मर जाती तो यह बà¥à¤°à¥€ खबर सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ को तो नहीं मिलती. यह अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है à¤à¤—वन, सरासर अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है.”
विहà¥à¤µà¤² कर देने वाला था उसका करà¥à¤£ कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¦à¤¨. उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ लोगों की आंखें गीली हो गईं. सबने पलकों पर तिर आठआसà¥à¤“ं को पोंछा. हमलोग बनारस लौट आà¤. डाकà¥à¤Ÿà¤° की सलाह के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ रेडियोथिरेपी और कीमोथिरेपी कराई गई.
कैनà¥à¤¸à¤° से à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ इसकी चिकितà¥à¤¸à¤¾ होती है. पैसा पानी की तरह बहाना पड़ता है. रोगी कई बार मरता है, कई बार जीता है. अवसाद हमेशा हावी रहता है. मृतà¥à¤¯à¥ के आने तक कौन नहीं जीना चाहता है? पर कैनà¥à¤¸à¤° का रोगी जी पाता है कà¥à¤¯à¤¾? वन-उपवन, तरà¥à¤µà¤°-लता, कलियां-पà¥à¤°à¤¸à¥‚न, पपीहा कोयल, शà¥à¤•-सारिका, मैना-गौरैया, बादल-बिजली, सावन-रिमà¤à¤¿à¤®, सागर-à¤à¥€à¤², à¤à¤°à¤¨à¥‡à¤‚-नदियां, ताल-तलैया – सबको देखना चाहता है – पर देख पाता है कà¥à¤¯à¤¾? कà¥à¤·à¤¤à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ लिपिड, सेल-वेसेल वाल, असनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¿à¤¤ नà¥à¤¯à¥‚कà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¸, डीà¤à¤¨à¤, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨, रेडियो, कीमो मेडिकेशन, पंचकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾, शलà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ – सबके बावजूद रोगी – हाथ, पांव, मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• और दिल, सबका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करना चाहता है – कर पाता है कà¥à¤¯à¤¾? मैं अकà¥à¤¸à¤° सोते समय à¤à¤—वान से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करता था –
“हे à¤à¤—वन! अगर मैंने जीवन में कà¥à¤› à¤à¥€ पà¥à¤£à¥à¤¯ अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ किया हो, तो मà¥à¤à¥‡ कल का सवेरा मत दिखाना. यह जरà¥à¤œà¤° शरीर अब ढोया नहीं जाता. जीने की आकांकà¥à¤·à¤¾ अब शेष नहीं रह गई है. मà¥à¤à¥‡ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दे दो, मà¥à¤à¥‡ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दे दो.”
उपर से मैं सामानà¥à¤¯ दिखाई देता था लेकिन अंदर से शरीर जरà¥à¤œà¤° हो चà¥à¤•ा था. आंतें सिकà¥à¥œ गईं थी. कबà¥à¥› ने सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ रूप धारण कर लिया. दिन में दस-बारह बार शौच जाना पड़ता था लेकिन पेट साफ नहीं होता था. à¤à¤¾à¤‚ति-à¤à¤¾à¤‚ति की दवाà¤à¤‚ दी गईं लेकिन सब बेअसर. डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ ने हार मान ली. मà¥à¤à¥‡ सलाह दी गई – अब à¤à¤¸à¥‡ ही जीना सीखिà¤. मेरी दकà¥à¤·à¤¤à¤¾ और कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ आधी से à¤à¥€ कम हो गई. घर और आफ़िस, यहीं दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ थी मेरी. वह मà¥à¤à¥‡ ढाà¥à¤¸ बंधाती थी और मैं उसे. à¤à¤• दूसरे कीॠपीड़ा, à¤à¤• दूसरे से अधिक कौन समठसकता था. फिर à¤à¥€ कषà¥à¤Ÿ बांट हम खà¥à¤¶ रहने की कोशिश करते. वह à¤à¤—वान से à¤à¤• ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करती थी कि वे उसे सà¥à¤¹à¤¾à¤—िन की मृतà¥à¤¯à¥ दें?
सन २००५ का नवंबर महीना चल रहा था. दिवाली के बाद गीतू को à¤à¤• दिन तेज खांसी आई. कफ़ में खून के छींटे दिखाई पड़े. बी.à¤à¤š.यू. में डाकà¥à¤Ÿà¤° को फौरान दिखाया गया. ढेर सारे टेसà¥à¤Ÿ कराठगठ– सीटी सà¥à¤•ैन, à¤à¥ž.à¤à¤¨.à¤.सी, à¤à¤•à¥à¤¸à¤°à¥‡, सोनोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿. धड़कते दिल से रिपोरà¥à¤Ÿ ले आता. लैब में जाने से पूरà¥à¤µ संकट मोचन मंदिर में जाकर बजरंग बली के दरà¥à¤¶à¤¨ करता, रो-रोकर याचना करता – रिपोरà¥à¤Ÿ सही करना à¤à¤—वान. लेकिन सब बेकार. सारी रिपोरà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ दिल तोड़ने वाली थीं. रोग का फैलाव दोनों फेफड़ों, राइट बà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥à¤Ÿ और गले में हो चà¥à¤•ा था. सरà¥à¤œà¤°à¥€ नहीं की जा सकती थी. कीमोथिरेपी की दारà¥à¤£ यंतà¥à¤°à¤£à¤¾ से फिर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़ा. हमदोनों का à¤à¤•मातà¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° साफà¥à¤Ÿà¥à¤µà¥‡à¤¯à¤° इंजीनियर है. बंगलोर में नौकरी कर रहा था. उसकी अंतिम इचà¥à¤›à¤¾ थी कि उसकी आंखों के सामने बेटे की शादी हो जाय. इधर कीमो चल रही थी, उधर सà¥à¤¯à¥‹à¤—à¥à¤¯ बहू की तलाश. कà¥à¤› ही दिनों में तलाश पूरी हो गई. दिसमà¥à¤¬à¤° २००६ में बेटे की शादी संपनà¥à¤¨ हो गई. अपार इचà¥à¤›à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ का परिचय देते हà¥à¤ उसने शादी की सारी रसà¥à¤®à¥‡à¤‚ पूरे उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से निà¤à¤¾à¤ˆ. शादी के बाद à¤à¤• दिन पूजा के दौरान वह बोली – “हे à¤à¤—वान! मेरी सारी इचà¥à¤›à¤¾à¤à¤‚ पूरी हो गईं. अब जब चाहो, मà¥à¤à¥‡ अपने पास बà¥à¤²à¤¾ सकते हो.”
जीवन! कà¥à¤¯à¤¾ होता है जीवन? चैतनà¥à¤¯ की à¤à¤• ओंकार धà¥à¤µà¤¨à¤¿ ही तो है यह – पीà¥à¥€ दर पीà¥à¥€ की दीरà¥à¤˜ साधना की संसà¥à¤•ारशील यातà¥à¤°à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤. मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ कौशल से सबकà¥à¤› निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कर सकता है लेकिन नहीं जोड़ सकता है à¤à¤• पल à¤à¥€ अपनी इचà¥à¤›à¤¾ से. परनà¥à¤¤à¥ संघरà¥à¤· करता है जीवन à¤à¤°. उसे पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है – कà¥à¤› पल तो जोड़ ही सकता है अपने अथक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से अपने और अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤œà¤¨ के जीवन में. अदà¥à¤à¥à¤¤ है यह मृग-मरीचिका. जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ à¤à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ की à¤à¤¾à¤‚ति आचरण करता है.
गीतू धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही थी. चेहरे पर उà¤à¤° आई सूजन अब साफ़ देखी जा सकती थी. उसके दाà¤à¤‚ हाथ और दाहिने पैर ने अचानक काम करना बंद कर दिया. फिर तरह-तरह के टेसà¥à¤Ÿ हà¥à¤ – सीटी सà¥à¤•ैन, बेरियम टेसà¥à¤Ÿ, सोनोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€……….मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• के दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¾à¤— में à¤à¥€ रोग की पहà¥à¤‚च हो गई थी. à¤à¥‹à¤œà¤¨ की नली लगà¤à¤— बंद हो चà¥à¤•ी थी. हाथ-पांव को कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² बनाने के लिठरेडियोथिरेपी और à¤à¥‹à¤œà¤¨ की नली खोलने के लिठडाइलेटेशन का निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया. मैंने डाकà¥à¤Ÿà¤° से पूछा –
“इस टà¥à¤°à¥€à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट के बाद कà¥à¤¯à¤¾ वह ठीक हो जाà¤à¤—ी?”
“अब हमलोगों का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है कि वे जबतक जीà¤à¤‚, कंफरà¥à¤Ÿà¥‡à¤¬à¤²à¥€ जीà¤à¤‚. आप “कहो कौनà¥à¤¤à¥‡à¤¯” के रचनाकार हैं, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ और गीता के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž हैं. धैरà¥à¤¯ रखिà¤, हिमà¥à¤®à¤¤ रखिठऔर हर परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के लिठतैयार रहिà¤.”
डाकà¥à¤Ÿà¤° ने संकेत में सब समà¤à¤¾ दिया.
गीतू के शरीर से नियति को इतनी ईरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? सà¥à¤¬à¤¹ होती, रंग फीका-फीका लगता तथापि जीवित रहती – बातचीत करती – पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• पà¥à¤¤à¥€ – मृतà¥à¤¯à¥ का अनादर करते हà¥à¤ हंसती – à¤à¥‹à¤° के चांद की तरह. यातना के साथ सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ होता – सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ होता बेचैनी के साथ – रात गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ à¤à¤•-à¤à¤• निःशबà¥à¤¦, à¤à¤¯à¤‚कर, निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में – मृतà¥à¤¯à¥ की. मृतà¥à¤¯à¥ की याचना, मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯, गीतू के सामने बार-बार पराजित होते. दिन रात बेटे-बहू उसके पास बैठे रहते, थके मांदे मेरे साले दीवान के किनारे कà¥à¤› पलों के लिठआराम कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर निà¥à¤¾à¤² हो जाते, फिर चौंक कर उठबैठते. मैं लाबी में असà¥à¤¥à¤¿à¤° हो टहलता रहता. सेवम बरामदे में खंà¤à¥‡ की टेक लगाठमृतà¥à¤¯à¥ के पथ को रोककर बैठा रहता. सेविका उसकी देखà¤à¤¾à¤² करती. उसके बचे-खà¥à¤šà¥‡ बालों को संवारती – मधà¥à¤¯ में लाल सिनà¥à¤¦à¥‚र की à¤à¤• रेखा बनाती – ललाट के बीचोबीच à¤à¤• छोटी सी बिनà¥à¤¦à¥€ सजाती. साधारण पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ से ही उसका चेहरा मणि की तरह दमक उठता.
दिनांक ८ मारà¥à¤š २००à¥. रात में खाना खाते समय सबने लकà¥à¤·à¥à¤¯ किया – वह पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ थी. खाना खिलाकर दवा दी गई. जलà¥à¤¦à¥€ ही सो गई. हमेशा की तरह नाक à¤à¥€ बजने लगी. ढाई बजे रात को नींद खà¥à¤²à¥€. बाथ-रूम जाना था उसे. मैं सहारा देकर ले गया. लौटते समय बेड-रà¥à¤® के दरवाजे तक पहà¥à¤‚ची ही थी कि जोर की à¤à¤• हिचकी आई और मेरी बाहों में à¤à¥‚ल गई वह.
मेरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ उजड़ चà¥à¤•ी थी. जीवन के उनà¥à¤¤à¥€à¤¸ अविसà¥à¤®à¤°à¥à¤£à¥€à¤¯ वरà¥à¤· साथ-साथ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने के बाद अकेला छोड़ ही दिया उसने. मेरा करà¥à¤£ कà¥à¤°à¤¨à¥à¤¦à¤¨ à¤à¥€ रोक नहीं पाया उसे.
शव-यातà¥à¤°à¤¾ के पहले उसका शृंगार किया गया. नहला-धà¥à¤²à¤¾à¤•र शादी वाला जोड़ा पहनाया गया. होठों पर लिपà¥à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• लगाई गई. शृंगार पूरा होने के बाद मà¥à¤à¥‡ बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ गया. मà¥à¤à¥‡ उसकी मांग में सिनà¥à¤¦à¥‚र à¤à¤°à¤¨à¤¾ था. अब मेरा साहस जवाब देने लगा. मेरे पैर कांपने लगे, लड़खड़ाया, लगा कि गिर जाऊंगा. तà¤à¥€ किसी ने थामा. चौहान à¤à¤¾à¤à¥€ थीं वो. आदेशातà¥à¤®à¤• सà¥à¤µà¤° में बोलीं –
“विपिनजी! बहà¥à¤¤ सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¤¿à¤¨à¥€ थीं आपकी गीतू. मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहती थीं – मैं सà¥à¤¹à¤¾à¤—िन मरना चाहती हूं. à¤à¤—वान ने उनकी इचà¥à¤›à¤¾ पूरी की. हर हिनà¥à¤¦à¥‚ औरत की यह पà¥à¤°à¤¬à¤² इचà¥à¤›à¤¾ होती है कि वह सà¥à¤¹à¤¾à¤—िन मरे. लेकिन कितनों को यह नसीब हो पाता है? वह पतिवà¥à¤°à¤¤à¤¾ थीं, महान थीं. लीजिठयह सिंधोरा और à¤à¤° दीजिठसिनà¥à¤¦à¥‚र से उनकी मांग, पूरी कर दीजिठउनकी अंतिम इचà¥à¤›à¤¾. रोने के लिठतो पूरी ज़िनà¥à¤¦à¤—ी पड़ी है.”
मैने आंसू पोंछ लिà¤. पहली बार उसकी मांग में सिनà¥à¤¦à¥‚र à¤à¤° अपने घर ले आया था. उस दिन अंतिम बार मांग में सिनà¥à¤¦à¥‚र à¤à¤° अपने ही घर से विदा कर रहा था – हमेशा के लिà¤. कैसी विडंबना है? à¤à¥‹à¤²à¥‡ शिशॠको खिलौना देना, अगले कà¥à¤·à¤£ छीन लेना, फिर रà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रचा यह नाटक? जो हाथ पसारकर मांगता है, उसके साथ खेलो. पर जो मांगता ही नहीं, उसके साथ खेल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? मेरे पास अब बचा ही कà¥à¤¯à¤¾ था – टूटी हà¥à¤ˆ आशा, नषà¥à¤Ÿ हà¥à¤† à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯, बà¥à¤à¥€ हà¥à¤ˆ अगà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¤¿à¤–ा, दहकती दिशाà¤à¤‚.
मेरी छोटी सी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से वह मà¥à¤•à¥à¤¤ हो गई. वह उस विशाल आकाश का अंग बन गई, जहां ’मैं’ की संकीरà¥à¤£ सतà¥à¤¤à¤¾ का कोई अरà¥à¤¥ नहीं होता. अपने जीवन की सारी सारà¥à¤¥à¤•ता और अपने छोटे से ’मैं’ की संकीरà¥à¤£à¤¤à¤¾ को वह मेरे छोटे स घर में छोड़कर विशाल परिसर की ओर उड़ गई. वह फिर à¤à¥€, मेरे मन के आकाश में तितली की तरह काफी हलà¥à¤•े मन से मंडराती रहेगी, आकाश से à¤à¤°à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ की बूंद की तरह मेरे छोटे से आंगन में उतर आयेगी. वह तो à¤à¥‚ल जाà¤à¤—ी कि कà¤à¥€ उसका à¤à¤• शरीर था, मैं कैसे à¤à¥‚ल पाऊंगा? उसके साथ दà¥à¤–, शोक, कामना, वासना का लेशमातà¥à¤° अंश à¤à¥€ नहीं रहेगा. उसके साथ रहेगी केवल सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ की à¤à¤• उदार, विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ अनà¥à¤à¥‚ति. वह लोक अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° होगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वहां नहीं होगा उसका जरà¥à¤œà¤° शरीर और नहीं होगी उससे उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ à¤à¤µà¤‚ वेदना. शूनà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के बाग में आतà¥à¤®à¤¾ का à¤à¤• फूल धीरे-धीरे खिलता रहेगा और उससे à¤à¤°à¤¤à¤¾ रहेगा पà¥à¤°à¥‡à¤® का à¤à¤• मधà¥-सà¥à¤°à¥‹à¤¤ – सारे संसार के लिठ– मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठ– पशà¥-पकà¥à¤·à¥€ और मेरे लिठà¤à¥€.
Nice. Thanks for writing this. Its always awesome to see someone educate the world.
A humble attempt to write on this sensitive topic and to inspire
http://bbsearchingself.wordpress.com/2010/10/26/terminal/
It’s sad that very few entries have been submitted for this awareness campaign.
As mentioned earlier I feel I should do this after surviving cancer for nearly 15 years
http://chaptersfrommylife.blogspot.com/2010/10/let-us-combat-cancer.html
As Punam has mentioned, very few entries have been submitted for the awareness.. could it be because the link to this is not available on the main page?
A true story…………………
http://revathipillai.blogspot.com/2010/10/living-nightmare.html
Hello Everone,
Here is my thought…
http://ink-and-feathers.blogspot.com/2010/11/crawling-hope.html
sharing an experience…
http://beyondhorizon-poonam.blogspot.com/2010/11/audacity-of-mother.html
it was with great shock i took the news of breast cancer of my mother three years ago,more shocking was she had not disclosed the presence of a lump in her breast for she was afraid of chemotherapy.after she started the treatment she asked me to write a poem saying that chemo is not as frightening as she thought hence this poem
Woman thou art Precious
Do not disdain it as something trivial
Defer not its presence
Let not the fear of chemo deter you from disclosure
Let not the doctor’s scalpel panic you
woman thou art precious
Hear not to frightening accounts
Its not as difficult as it sounds
Its but a passing phase
And the sun will brightly shine again
You will blossom again like spring
Garner all you strength and join hands with your healer
to fight the mutant in you
Let it not get the better of you
thou art precious
Prabha raykar